मातृत्व की सजा: कामकाजी महिलाओं की चुपचाप लड़ाई

संवादगढ़ विशेष रिपोर्ट | बिलासपुर

बिलासपुर में एक महिला को गर्भावस्था की घोषणा के 48 घंटे बाद नौकरी से निकाल दिया गया। यह अकेली कहानी नहीं—स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, 2022 से छत्तीसगढ़ के छोटे शहरों में राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) को शिकायतें दोगुनी हुई हैं। क्या नीतियां केवल कागज पर हैं?

भेदभाव का चेहरा
कार्यस्थलों पर गर्भवती महिलाओं को निशाना बनाया जा रहा है, खासकर असंगठित क्षेत्रों में। मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 मौजूद है, लेकिन छोटे उद्योगों में इसका पालन नहीं होता। कई महिलाएं डर से चुप रहती हैं।

निष्क्रियता का सवाल
NCW को शिकायतें बढ़ रही हैं, लेकिन कार्रवाई सीमित है। क्या सरकार और उद्योग महिलाओं के अधिकारों को गंभीरता से ले रहे हैं?

संवादगढ़ की मांग:

  • मातृत्व लाभ अधिनियम का सख्त कार्यान्वयन।
  • NCW शिकायतों की त्वरित जांच।
  • कार्यस्थल भेदभाव पर जागरूकता अभियान।

महिलाओं का सम्मान अधिकार है, विशेषाधिकार नहीं। क्या यह बदलाव आएगा?

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