
संवादगढ़ विशेष रिपोर्ट | छत्तीसगढ़
2023 में, एक प्रमुख कंपनी ने छत्तीसगढ़ के एक आदिवासी गांव के लिए 2 करोड़ रुपये के CSR प्रोजेक्ट की घोषणा की। एक साल बाद, स्थानीय लोगों का कहना है कि केवल एक बैनर बचा है। संवादगढ़ के चित्रों और दस्तावेजों से खुलासा हुआ कि स्कूल, पानी, और सड़कों के वादे अधूरे हैं। क्या CSR जवाबदेही का नया युद्धक्षेत्र है?
खोखली घोषणाएं
कंपनी ने गांव को ‘गोद लेने’ का दावा किया, लेकिन स्कूल की दीवारें टूटी हैं, और पानी की टंकी सूखी है। स्थानीय लोगों ने बताया कि प्रचार के लिए फोटो खींचे गए, लेकिन काम नहीं हुआ।
जवाबदेही का अभाव
CSR फंड का दुरुपयोग देशव्यापी समस्या है। क्या सरकार और नियामक इस धोखे को रोक पाएंगे?
संवादगढ़ की मांग:
- CSR परियोजनाओं की स्वतंत्र ऑडिट।
- फंड उपयोग की पारदर्शी रिपोर्टिंग।
- गांवों में वास्तविक विकास की गारंटी।
वादों का बोझ गांव नहीं, कॉर्पोरेट्स को उठाना चाहिए। क्या बदलाव आएगा?
#SanvaadGarh #CSRFailure #TribalRights
Be the first to comment