
संवादगढ़ विशेष रिपोर्ट | रायपुर
छत्तीसगढ़ के युवा अपने सपनों को लेकर शहरों की ओर भाग रहे हैं। स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, 2022–24 के बीच 60,000 से अधिक युवा नौकरी और शिक्षा की तलाश में महानगरों में चले गए। कौशल प्रशिक्षण केंद्र मौजूद हैं, लेकिन केवल 20% से कम प्रशिक्षुओं को स्थायी रोजगार मिलता है। यह पलायन कब रुकेगा?
सपनों का बोझ
छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी और सीमित शैक्षिक अवसर युवाओं को मजबूर कर रहे हैं। रायपुर और बिलासपुर जैसे शहरों में भी अच्छे रोजगार की कमी है। कौशल विकास योजनाएं चल रही हैं, लेकिन प्रशिक्षण के बाद नौकरियां अस्थायी या कम वेतन वाली हैं। कई युवा दिल्ली, मुंबई, और बेंगलुरु में मजदूरी या छोटे-मोटे काम कर रहे हैं।
खोखले वादे
सरकारी दावों में कौशल केंद्रों को रोजगार का रास्ता बताया जाता है, लेकिन स्थानीय युवाओं का कहना है कि प्रशिक्षण और नौकरी के बीच का अंतर बहुत बड़ा है। क्या यह योजनाएं केवल आंकड़ों के लिए हैं?
संवादगढ़ की मांग:
- स्थानीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण रोजगार सृजन।
- कौशल केंद्रों में प्रशिक्षण और प्लेसमेंट की पारदर्शी निगरानी।
- युवा पलायन के आंकड़ों की स्वतंत्र जांच।
छत्तीसगढ़ के युवा राज्य का भविष्य हैं। क्या हम उनके सपनों को वापस ला सकते हैं?
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