नदी में राख: हसदेव का औद्योगिक लालच के खिलाफ संघर्ष

संवादगढ़ विशेष रिपोर्ट | हसदेव

हसदेव नदी, छत्तीसगढ़ का जीवन स्रोत, औद्योगिक प्रदूषण की चपेट में है। स्थानीय रिपोर्ट्स और चित्रों से पता चलता है कि एक सीमेंट संयंत्र के पास नदी का पानी धूसर हो रहा है, मछलियां मर रही हैं, और राख के अवशेष तैर रहे हैं। समुदाय ने 100 से अधिक शिकायतें दर्ज कीं, लेकिन जवाब नहीं मिला। क्या मुनाफा पानी से ज्यादा कीमती है?

नदी का दर्द
हसदेव बेसिन में औद्योगिक इकाइयां बिना उचित अपशिष्ट उपचार के प्रदूषण फैला रही हैं। स्थानीय मछुआरों का कहना है कि उनकी आजीविका खतरे में है। पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि नदी का पारिस्थितिकी तंत्र ढह सकता है।

नियामक चुप्पी
छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल (CECB) ने शिकायतों पर कार्रवाई नहीं की। क्या कॉर्पोरेट दबाव नियमों को कमजोर कर रहा है?

संवादगढ़ की मांग:

  • हसदेव नदी की स्वतंत्र पर्यावरण जांच।
  • प्रदूषणकारी इकाइयों पर जुर्माना।
  • नदी संरक्षण के लिए तत्काल कदम।

हसदेव की पुकार अनसुनी नहीं रह सकती। क्या हम इसे बचा पाएंगे?

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