कोरबा की विषाक्त हवा: एक संकट जो सबके सामने है

संवादगढ़ विशेष रिपोर्ट | कोरबा

भारत का ‘पावर हब’ कहलाने वाला कोरबा प्रगति की भारी कीमत चुका रहा है। कोयला आधारित बिजली संयंत्रों ने इसे गैस चैंबर में बदल दिया है। स्थानीय रिपोर्ट्स और वायु गुणवत्ता डेटा के अनुसार, 2024 में कोरबा में PM2.5 का स्तर 60–100 µg/m³ तक पहुंचा, जो WHO के सुरक्षित मानक (5 µg/m³) से 12 गुना अधिक है। यह हवा बच्चों और बुजुर्गों के फेफड़ों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है, अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियों में वृद्धि के साथ।

हवा जो जान ले रही है
कोरबा में कोयला संयंत्र और खनन गतिविधियां हवा को जहरीला बना रही हैं। PM2.5, जो फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश करता है, कैंसर और हृदय रोगों का खतरा बढ़ाता है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि बच्चों में खांसी और सांस की तकलीफ आम हो गई है। फिर भी, स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट्स स्थिति को ‘सामान्य’ बताती हैं। क्या यह डेटा दबाने की साजिश है?

निष्क्रियता का बोझ
छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल (CECB) पर निष्क्रियता का आरोप है। औद्योगिक इकाइयों पर निगरानी कमजोर है, और प्रदूषण मानकों का उल्लंघन खुलेआम हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोयला संयंत्रों में आधुनिक उत्सर्जन नियंत्रण तकनीक की कमी है।

संवादगढ़ की मांग:

  • PM2.5 और स्वास्थ्य डेटा की पारदर्शी रिपोर्टिंग।
  • कोयला संयंत्रों पर सख्त उत्सर्जन नियम।
  • कोरबा में स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा।

कोरबा की हवा अब और इंतजार नहीं कर सकती। क्या हम राष्ट्रीय ध्यान देने से पहले और जिंदगियां खोएंगे?

#SanvaadGarh #KorbaPollution #EnvironmentalJustice

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*