संवादगढ़ विशेष रिपोर्ट | बस्तर
बस्तर का स्वास्थ्य तंत्र ढह रहा है। एक 60 बिस्तरों वाला अस्पताल केवल एक डॉक्टर के भरोसे चल रहा है। मरीज दूरदराज के इलाज के लिए जाते समय दम तोड़ रहे हैं। स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, 2024 में ग्रामीण चिकित्सा पदों में 47% से अधिक रिक्तियां हैं। यह संकट क्या सरकारी उपेक्षा का परिणाम है?
टूटता तंत्र
बस्तर के आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं नाममात्र की हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के आंकड़े ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों और नर्सों की भारी कमी दर्शाते हैं। मरीजों को अक्सर 50 किमी से अधिक की यात्रा करनी पड़ती है, जहां सड़कें और परिवहन सीमित हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि गर्भवती महिलाएं और बच्चे इस अभाव के सबसे बड़े शिकार हैं।
उपेक्षा या साजिश?
सरकारी योजनाएं जैसे आयुष्मान भारत मौजूद हैं, लेकिन कार्यान्वयन कमजोर है। खाली पदों को भरने के वादे कागजों तक सीमित हैं। क्या यह उपेक्षा जानबूझकर है, ताकि निजी अस्पतालों को फायदा हो?
संवादगढ़ की मांग:
- बस्तर में चिकित्सा कर्मचारियों की तत्काल भर्ती।
- ग्रामीण अस्पतालों में बुनियादी ढांचे का विस्तार।
- स्वास्थ्य डेटा की पारदर्शिता।
बस्तर की जनता का जीवन दांव पर है। क्या सरकार जागेगी, या यह संकट और गहराएगा?
#SanvaadGarh #BastarHealthCrisis #HealthJustice

Be the first to comment