संवादगढ़ विशेष रिपोर्ट | दंतेवाड़ा
दंतेवाड़ा में शिक्षा का अधिकार खोखला हो रहा है। स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, 2024 में ड्रॉपआउट दर 28% तक पहुंच गई, जिसके पीछे नक्सल हिंसा और मौसमी प्रवास मुख्य कारण हैं। समग्र शिक्षा योजना के बावजूद, कक्षाएं खाली हैं, और बच्चों के सपने अधूरे।
शिक्षा का संकट
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्कूल अक्सर बंद रहते हैं या शिक्षकों की कमी से जूझते हैं। प्रवास के कारण कई परिवार बच्चों को स्कूल से हटा लेते हैं। दंतेवाड़ा का साक्षरता दर केवल 42.12% है, जो राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। खाली कक्षाएं और धूल भरे ब्लैकबोर्ड इस संकट की कहानी बयां करते हैं।
वादों का खोखलापन
समग्र शिक्षा के तहत स्कूलों में सुधार का दावा है, लेकिन शिक्षक भर्ती और बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है। क्या यह केवल कागजी प्रगति है?
संवादगढ़ की मांग:
- नक्सल क्षेत्रों में स्कूलों की सुरक्षा और शिक्षक भर्ती।
- प्रवासी परिवारों के बच्चों के लिए मोबाइल स्कूल।
- ड्रॉपआउट डेटा की पारदर्शी रिपोर्टिंग।
दंतेवाड़ा के बच्चे शिक्षा के हकदार हैं। क्या हम उनके सपनों को मरने देंगे?
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